गुरुवार को गुजरांवाला के वजीराबाद में इमरान खान के लॉन्ग मार्च पर फायरिंग करने वाले आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके सही नाम को लेकर पुलिस ने अभी तक जानकारी नहीं दी है। कुछ खबरों में उसका नाम फैसल और कुछ में जावेद इकबाल बताया गया है।
पाकिस्तान के कई सीनियर जर्नलिस्ट्स ने इस हमलावर के पुलिस कस्टडी में दिए गए बयान का वीडियो शेयर किया है। इसमें आरोपी कहता कि वो अकेला ही हमला करने आया था। वो इमरान को जान से मारना चाहता था, क्योंकि खान के लॉन्ग मार्च में अजान के दौरान भी डेक (DJ) बजता रहता था। पुलिस ने ऑफिशियली अब तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है।

आरोपी ने क्या कहा?
आरोपी ने पुलिस कस्टडी में कहा- मैंने यह काम (इमरान पर फायरिंग) इसलिए किया, क्योंकि इमरान लोगों को गुमराह कर रहा है। मुझसे ये चीज देखी नहीं गई और मैंने उसको जान से मारने की कोशिश की। मैं तो सिर्फ इमरान खान को मारने आया था। मैं उसे इसलिए मारना चाहता था, क्योंकि इधर अजान होती रहती थी और उधर खान DJ लगाकर शोर करता रहता था। ये मेरे जमीर को गवारा नहीं था।
पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने कहा- मैंने यह फैसला अचानक किया। इसके लिए पहले से कोई प्लानिंग नहीं थी। जिस दिन यह लॉन्ग मार्च लाहौर से शुरू हुआ था, उसी दिन मैंने फैसला कर लिया था कि इमरान को मैं छोड़ूंगा नहीं। मेरे पीछे कोई नहीं है, मैंने अकेले ही इस काम को अंजाम दिया। मैं बाइक से आया था और ये अपने मामू की दुकान पर खड़ी कर दी थी।

हमलावर कितने थे
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI और IB भी इस आरोपी से पूछताछ के लिए पहुंच चुकी हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पुलिस को यह यकीन नहीं है कि आरोपी ने अकेले इस घटना को अंजाम दिया। इसकी वजह यह है कि पंजाब प्रांत में इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) की सरकार है और इमरान को जबरदस्त सिक्योरिटी कवर दिया गया है। इसके अलावा खान के हथियारबंद पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड भी वहां मौजूद रहते हैं।
पुलिस के सामने सवाल यह है कि अगर आरोपी का कोई और साथी था तो वो कहां है? इसकी वजह यह है कि न्यूज एजेंसी AFP समेत कुछ जर्नलिस्ट भी कह रहे हैं कि एक हमलावर मौके पर ही मारा गया। इमरान की पार्टी के एक नेता अमीन अहमद के मुताबिक, जो शख्स मारा गया वो तो PTI का ही वर्कर था।

दखल दे सकती है फौज
- इमरान खान को सत्ता के शिखर तक पहुंचाने में ताकतवर फौज और ISI का ही हाथ था। जब वो हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुए तो इन दोनों ने ही समर्थन देना बंद कर दिया। इसके बाद साल की शुरुआत में खान की सरकार गिर गई और वो अब खुलेआम फौज और ISI को चैलेंज कर रहे हैं।
- दरअसल, इमरान चाहते हैं कि फौज फिर उनका समर्थन करे और सत्ता में लाए। दूसरी तरफ, फौज और खुफिया एजेंसी का कहना है कि वो सियासत से हमेशा के लिए दूरी बना चुके हैं।
- वर्तमान आर्मी चीफ जनरल कमर जावेद बाजवा 29 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। इमरान चाहते हैं कि वो पूर्व ISI चीफ जनरल फैज हमीद को जनरल बाजवा की जगह आर्मी चीफ बनाएं। फैज इमरान के बेहद करीबी दोस्त और राजदार हैं। इसी वजह से जनरल बाजवा ने उन्हें नियमों का हवाला देकर ISI चीफ की पोजिशन से हटाकर कोर कमांडर पेशावर बना दिया था।
- फिलहाल, ISI चीफ लेफ्टिनेंट जनरल नदीम अहमद अंजुम हैं। उन्हें बेहद सख्त और मीडिया से दूर रहने वाला अफसर बताया जाता है। हालांकि, ये भी सही है कि महज 10 दिन पहले इमरान के प्रोपेगंडा का जवाब देने के लिए नदीम को प्रेस कॉन्फ्रेंस करनी पड़ी थी।
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